आओ मिलकर एक सुनहरा भारत बनाएं गौरी (बेटी), गाय और गंगा को बचाएं
नई दिल्ली। गोपाष्टमी का सनातन धर्म में विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। यह त्योहार मुख्य रूप से गौ माता और भगवान कृष्ण के प्रति श्रद्धा और भक्ति को समर्पित है। गोपाष्टमी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन गौ माता और भगवान कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि यह दिन भगवान कृष्ण द्वारा गौ चराने की शुरुआत की गई थी। इस अवसर पर शनिवार को सिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम में धूमधाम –असोला, फतेहपुर बेरी स्थित शनिधाम गौशाला में गोपाष्टमी का धूमधाम से इस महापर्व को मनाया गया।
Submitted by Shanidham Gaushala on 16 Jun, 2019
गाय को माता मानने के पिछे यह आस्था है कि गाय में समस्त देवता निवास करते हैं व प्रकृति की कृपा भी गाय की सेवा करने से ही मिलती है। भगवान शिव का वाहन नंदी (बैल), भगवान इंद्र के पास समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली गाय कामधेनू, भगवान श्री कृष्ण का गोपाल होना एवं अन्य देवियों के मातृवत गुणों को गाय में देखना भी गाय को पूज्य बनाते हैं। भविष्य पुराण के अनुसार गोमाता के पृष्ठदेश यानि पीठ में ब्रह्मा निवास करते हैं तो गले में भगवान विष्णु विराजते हैं। भगवान शिव मुख में रहते हैं तो मध्य भाग में सभी देवताओं का वास है। गऊ माता का रोम रोम महर्षियों का ठिकाना है तो पूंछ का स्थान अनंत नाग का है, खूरों में सारे पर्वत समाये हैं तो गौमूत्र में गंगादि पवित्र नदिया, गौमय जहां लक्ष्मी का निवास तो माता के नेत्रों में सूर्य और चंद्र का वास है। कुल मिलाकर गाय को पृथ्वी, ब्राह्मण और देव का प्रतीक माना जाता है। प्राचीन समय में गोदान सबसे बड़ा दान माना जाता था और गौ हत्या को महापाप। यही कारण रहे हैं कि वैदिक काल से ही हिंदू धर्म के मानने वाले गाय की पूजा करते आ रहे हैं। गाय की पूजा के लिये गोपाष्टमी का त्यौहार भी भारत भर में मनाया जाता है।
Submitted by Shanidham Gaushala on 19 Dec, 2022
हिंदू धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है और इसकी सेवा करने की बात कही गई है. मान्यता है कि गाय की सेवा मात्र से व्यक्ति के जीवन के तमाम संकटों का अंत हो सकता है. हिंदू धर्म (Hindu Religion) में गाय को पूज्यनीय माना गया है. कहा जाता है कि बड़े से बड़े कष्ट सिर्फ गौमाता के पूजन से कट जाते हैं क्योंकि गाय में 33 कोटि देवी देवताओं का वास माना गया है. गाय (Cow) की सेवा से सभी देवी देवता प्रसन्न होते हैं, साथ ही परिवार को सुख-समृद्धि (Prosperity) और अच्छे स्वास्थ्य का वरदान मिलता है. गाय की सेवा से कुंडली का कोई भी दोष दूर हो सकता है और पितृदोष आदि के कारण आने वाली बाधाओं से भी मुक्ति मिलती है. गौमाता की सेवा का जिक्र सिर्फ शास्त्रों में ही नहीं है, बल्कि द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण (Lord Shri Krishna) ने भी गाय के प्रति अपना प्रेम प्रदर्शित किया है और लोगों को गाय की सेवा करने का संदेश दिया है. यदि आपके जीवन में भी कई तरह की परेशानियां हैं तो यहां जानिए गौमाता से जुड़े कुछ ऐसे उपाय जिनसे आपकी हर समस्या का समाधान हो सकता है. ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की शांति के लिए कई उपाय बताए गए है। शास्त्रों के अनुसार गाय माता को खुश करके भी हम नवग्रहों को शांत कर सकते हैं। गाय माता को हर वार आप ये अन्न खिलाकर खुश कर सकते है। तो आइए जानते है कुछ उपाय:
Submitted by Shanidham Gaushala on 04 Nov, 2019
नई दिल्ली। गाय और गोपालकों की साधना का दिन गोपाष्टमी सोमवार को फतेहपुर बेरी-असोला स्थित श्रीसिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम में धूमधाम से मनाया गया। महामंडलेश्वर परमहंस दाती महाराज के सान्निध्य में श्रद्धालुओं ने गायों को गुड़-लापसी खिलाकर उनकी पूजा-अर्चना की। परमहंस दाती महाराज ने गायों को चूनरी ओढ़ाकर उनके भाल पर तिलक किया और उन्हें दुलारा। इस दौरान श्रीसिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम परिसर में शनिधाम गोशाला की दिल्ली शाखा का विधिवत शुभारंभ किया गया।
यज्ञ में सोम की चर्चा है जो कपिला गाय के दूध से ही तैयार किया जाता था। इसीलिए महाभारत के अनुशासन पर्व में गौमाता के विषय में विशेष चर्चाऐं हैं। गाय सभी प्राणियों में प्रतिष्ठत है, गाय महान उपास्य है। गाय स्वयं लक्ष्मी है, गायों की सेवा कभी निष्फल नहीं होती।
मित्रो! यज्ञ में प्रयुक्त होने वाले शब्द जिनसे देवताओं व पितरों को हवन सामग्री प्रदान की जाती है, वे स्वाहा व षट्कार गौमाता में स्थायी रूप से स्थित हैं। स्पष्ट है, यज्ञ स्थल गाय के गोबर से लीपकर पवित्र होता है। गाय के दूध, दही, घृत, गोमूत्र और गोबर से बने हुए पंचगव्य से स्थल को पवित्र करते हैं।
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