Submitted by Shanidham Gaushala on 04 Nov, 2019
नई दिल्ली। गाय और गोपालकों की साधना का दिन गोपाष्टमी सोमवार को फतेहपुर बेरी-असोला स्थित श्रीसिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम में धूमधाम से मनाया गया। महामंडलेश्वर परमहंस दाती महाराज के सान्निध्य में श्रद्धालुओं ने गायों को गुड़-लापसी खिलाकर उनकी पूजा-अर्चना की। परमहंस दाती महाराज ने गायों को चूनरी ओढ़ाकर उनके भाल पर तिलक किया और उन्हें दुलारा। इस दौरान श्रीसिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम परिसर में शनिधाम गोशाला की दिल्ली शाखा का विधिवत शुभारंभ किया गया।
हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी मनाई जाती है। मुख्य रूप से यह गोपूजन से जुड़ा पर्व है। इस दिन गौ का पूजन और अर्चन किया जाता है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने इस दिन से ही गायों को चराना आरंभ किया था। इससे पहले वे केवल गाय के बछड़ों को ही चराया करते थे। इस साल गोपाष्टमी 4 नवंबर यानी सोमवार को मनाई गई। इस दिन शनिधाम परिसर में गाय और उनके बछड़ों का श्रृंगार कर के उनकी आरती उतारी गई। इस मौके पर परमहंस दाती महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं से कहा कि गाय के शरीर में अनेक देवताओं का वास होता है। इसलिए गाय की पूजा करने से उन देवताओं की भी पूजा स्वत: हो जाती है। उन्होंने श्रद्धालुओं को गाय की परिक्रमा करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि गाय को माता यानी लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। गौमाता के पृष्ठदेश में ब्रह्म का वास है, गले में विष्णु का, मुख में रुद्र का, मध्य में समस्त देवताओं और रोमकूपों में महर्षिगण, पूंछ में अनंत नाग, खूरों में समस्त पर्वत, गौमूत्र में गंगादि नदियां, गौमय में लक्ष्मी और नेत्रों में सूर्य-चन्द्र विराजित हैं।
फतेहपुर बेरी-असोला स्थित श्रीसिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम में कार्तिक शुक्ल अष्टमी यानी सोमवार सुबह गायों को स्नान कराने के बाद परमहंस दाती महाराज, श्रीमहंत भोलागिरी महाराज, महंत सतीशदास समेत समाजसेवी जगत पहलवान, गोभक्त तरुण जैन, विनयपाल, भगवत मारवाड़ी तथा सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने शनिधाम परिसर स्थित गोशाला में गायों की पुष्प, अक्षत, गंध आदि से विधि पूर्वक पूजा की। इसके बाद गोवंश का वस्त्र (चूनरी) ओढ़ाई गई। इसके बाद गायों को लापसी के रूप में ग्रास देकर उनकी परिक्रमा की गई। परिक्रमा करने के बाद गायों को दुलारा गया। उन्हें भोजन देकर उनकी चरण रज को माथे पर धारण किया गया।