Submitted by Shanidham Gaushala on 01 Apr, 2019
गाय की पूजा क्यों?
तो गाय की पूजा क्यों की जाती है? और इसका उद्देश्य क्या है, क्या महत्व है? गौ पूजा से हमें क्या लाभ मिलता है? आज का यह आर्टिकल इन्हीं प्रश्नों के उत्तर से ही बना है। यहां हम गाय से संबंधित कुछ ऐसे ज्योतीष उपाय भी बताएंगे, जिन्हें करने से आपके जीवन में सुख एवं संपदा की वर्षा होगी।
महाभारत में गौ पूजा
हिन्दू धर्म के महानतम ग्रंथ महाभारत में गौ पूजा से संबंधित कुछ बातें उल्लेखनीय हैं। इसमें कहा गया है कि जो व्यक्ति, गाय माता (हिन्दू धर्म एवं गाय को माता की उपाधि दी गई है) की सेवा और सब प्रकार से उनका अनुगमन करता है उस पर संतुष्ट होकर गौएं उसे अत्यन्त दुर्लभ वर प्रदान करती हैं।
क्या करें और क्या नहीं
यह भी कहा गया है कि गौओं के साथ मन से भी द्रोह न करें, उन्हें सदा सुख पहुंचाएं, उनका दिल से सत्कार करें और नमस्कार आदि के द्वारा उनका पूजन करते रहें। जो मनुष्य इन बातों का पालन करता है वह जीवन में सुख एवं समृद्धि का भागी होता है।
ज्योतिषीय उपचार
यह तो पूर्ण रूप से धार्मिक मान्यताएं थीं, लेकिन यहां हम आपको गौ माता से संबंधित कुछ ज्योतीषीय उपचार भी बताने जा रहे हैं। ज्योतिष विधा की नज़र से गाय से संबंधित वह कौन से कर्म कांड हैं जिन्हें करने से आपको लाभ होगा,
गोधूलि योग
ज्योतिष शास्त्र में गोधूलि नामक एक योग होता है, यह योग गाय से संबंधित है। इस योग के संदर्भ में ऐसा माना जाता है कि यदि किसी के विवाह के लिए उत्तम मुहूर्त नहीं मिल रहा है या फिर भविष्य में किसी के वैवाहिक जीवन में परेशानियां आने के संकेत हैं और उन्हें दूर करना चाहते हैं तो गोधूलि योग में वर-वधु का विवाह करें।
यात्रा से पहले
यदि आप किसी महत्वपूर्ण यात्रा पर जा रहे हैं और चाहते हैं कि सफल होकर ही लौटें तो जाने से पहले गाय को भोजन कराकर जाएं। और यदि यात्रा पर निकलते समय अचानक रास्ते में कोई गाय सामने पड़ जाए अथवा बछड़े को दूध पिलाती हुई सामने दिख जाए तो भी यात्रा सफल हो जाती है।
जन्म कुंडली के दोषों का नाश
यदि आप अपनी जन्म कुंडली में ग्रहों के बीच प्रभाव से परेशान हैं तो इसके लिए भी ज्योतिषीय उपाय मौजूद हैं। किसी की जन्म कुंडली में यदि शुक्र अपनी नीच राषि कन्या पर हो या शुक्र की दशा चल रही हो तो प्रातःकाल के भोजन में से एक रोटी सफेद रंग की देशी गाय को 43 दिन तक लगातार खिलाने से शुक्र का नीचत्व एवं शुक्र संबंधित कुदोष स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं।
गौ को रोटी दें
इसके अलावा गौ को रोटी देने से जन्मपत्री में यदि पितृदोष हो तो वह भी हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है। अभी तक हमने आपको गौ माता से संबंधित कुछ आम ज्योतिषीय उपाय बताए, लेकिन क्या आपने गाय से जुड़ा कोई खास दिन सुना है? यानी कि गोप अष्टमी, कहते हैं इस दिन यदि खास उपाय किए जाएं जीवन भर के लिए सुख-समृद्धि के मार्ग खुल जाते हैं।
गोप अष्टमी
गोप अष्टमी का उल्लेख ‘निर्णयामृत’ एवं ‘कूर्मपुराण’ में किया गया है। कार्तिक शुक्ल अष्टमी को प्रातः काल के समय गौओं को स्नान कराएं, गंध पुष्पादि से पूजन करें तथा अनेक प्रकार के वस्त्रालंकार से अंलकृत करके उनके गोपालां (ग्वालों) का पूजन करें।
इस तरह करें पूजा
इसके बाद गायों को गौ ग्रास देकर उनकी परिक्रमा करें और थोड़ी दूर तक उनके साथ जाएं, मान्यता है कि ऐसा करने से सब प्रकार की अभीष्ट सिद्धि होती है। इसी गोपाष्टमी को सायं काल के समय जब गाय चरकर वापस आएं, तो उस समय भी उनका आतिथ्य अभिवादन करें, कुछ भोजन कराएं और उनकी चरणरज को मस्तक पर धारण कर ललाट पर लगाएं तो जीवन में सौभाग्य की वृद्धि होती है।
गाय के सींग
पौराणिक तथ्यों के अनुसार गाय के सींग में ब्रह्मा विष्णु महेश का वास होता है। हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध धार्मिक ग्रंथों में से एक भविष्य पुराण में कहा गया है - शृंगमूले गवां नित्यं ब्रह्मा विष्णुष्च संस्थितौ । श्रंरग्राग्रे सर्व तीर्थानि स्थावराणि चराणि च।। षिवो मघ्ये महादेवः सर्वकारण कारणम। ललाटे संस्थिता गौरी नाषावंषे च शणमुखः।।
ब्रह्मा विष्णु महेश
तात्पर्य है कि गौओं के सींग की जड़ में सदा ब्रह्मा और विष्णु प्रतिष्ठित हैं। सींग के अग्र भाग में चराचर समस्त तीर्थ प्रतिष्ठित हैं, मध्य भाग में ब्रह्मा जी हैं। गौ के ललाट में गौरी तथा नासिका के अस्ति भाग मे भगवान कार्तिकेय प्रतिष्ठित हैं। इसके अलावा गौ माता में तीर्थों का निवास भी माना जाता है। कहते हैं कि 68 करोड़ तीर्थ एवं 33 करोड़ देवी-देवताओं का चलता-फिरता विग्रह गाय ही है।
गौ माता में तीर्थों का निवास
तो यदि आप किसी कारणवश तीर्थ जाने से असमर्थ हैं तो गाय की सेवा करें, आपको सभी तीर्थों का पुण्य प्राप्त हो जाएगा। ऐसी भी मान्यता है कि गाय की सेवा के साथ-साथ उसकी साफ-सफाई का भी ध्यान रखें, उन्हें समय से भोजन कराएं, उनके आसपास के वातरवरण को साफ-सुथरा रखें और उन्हें मक्खी-मच्छर से भी बचाएं तो उस व्यक्ति को कपिला गाय के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।
ऐसा कभी ना करें
लेकिन गाय का महत्व आप तक अधिक समझ सकेंगे जब आप जानेंगे कि गाय का अपमान करने पर घोर पाप मिलता है। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार यदि कोई व्यक्ति गाय के जल पीने में विघ्न उत्पन्न करता है तो वह महापाप का भोगी बनता है। ऐसा भूलकर भी नहीं करना चाहिए...
गरुण पुराण भगवान विष्णु के वाहन गरुण ने भी गरुण पुराण गायों के महत्व का उल्लेख किया है। उनके अनुसार जीवन के बाद मोक्ष प्राप्ति का सीधा मार्ग गाय की सेवा ही है। आप जितनी निष्ठा से उनकी सेवा करेंगे, उनका आदर-सम्मान करेंगे, उनकी देखभाल करेंगे, उतने ही पुण्य प्राप्त करके मृत्यु के बाद मोक्ष हासिल करेंगे।
संतान प्राप्ति के लिए
जीवन से जुड़ी छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी जरूरतें भी गौ माता की सेवा से पूर्ण होती हैं। कहते हैं जिस स्त्री को संतान नहीं हो रही हो वह गाय माता के दूध, जिसे सबसे अधिक पवित्र माना जाता है, उससे बने खाद्य पदार्थ ग्रहण करे तो जल्द ही संतान की प्राप्ति होती है। इस तरह करें पूजन व्रत परिचय’ ने गाय के पूजन से इसका सटीक उपाय बताया है। किसी सौभाग्यवती स्त्री को पुत्र न होता हो तो वह कार्तिक, मार्गषीर्ष या वैशाख शुक्ल पक्ष में पहले गुरुवार को गौ पूजन प्रारम्भ करें। प्रातः काल नित्य कृत्य से निवृत्त होकर अपनी या पराई किसी भी गौ को मकान के प्रांगण में खड़ी करके स्वयं उत्तराभिमुख होकर शुद्ध जल से उसकी चरण वंदना करें। पुत्र प्राप्ति के लिए फिर उसके ललाट को धोकर मध्य में रोली का टीका लगाएं और अक्षत चढाएं, फिर करबद्ध नतमस्तक होकर प्रार्थना करें कि “हे माता! मुझे पुत्र प्रदान कर।“ मान्यता है कि ऐसा करने से वह स्त्री जल्द ही संतान के रूप में पुत्र प्राप्त करती है।